



पाकिस्तान के लिए अब नई मुसीबत खड़ी हो गई है. अमेरिका और यूरोप के साथ दुनिया के कई मुस्लिम देशों के बीच पहले ही ठनी हुई है और अब ऐसे में पाकिस्तान के रवैये को देखते हुए यूरोपियन यूनियन में उस पर भी पूरी तरह बैन लगाने की मांग उठने लगी है.
एक तो घर की परेशानी पहले से ही थी. अब बाहर वालों ने भी परेशान करना शुरू कर दिया. पाकिस्तान के हालात आजकल कुछ ऐसे ही हैं. पहले यूएई ने पाकिस्तान को धमकाया कि वो हद में रहे. वरना उसके खिलाफ तमाम पाबंदियां लगा दी जाएंगी. और अब यूरोपीय संसद ने भी पाकिस्तान को दो टूक कह दिया कि आतंकवाद का इस्तेमाल जिस तरह से वो कर रहा है, उसे देखते हुए पाकिस्तान के खिलाफ कई तरह की आर्थिक पाबंदियां लगाई जा सकती हैं.
आतंकवादियों की हिमायत के चलते पूरी दुनिया में बदनाम और बेनक़ाब हो चुके पाकिस्तान के लिए अब नई मुसीबत खड़ी हो गई है. इस मामले पर अमेरिका और यूरोप के साथ दुनिया के कई मुस्लिम देशों के बीच पहले ही ठनी हुई है और अब ऐसे में पाकिस्तान के रवैये को देखते हुए यूरोपियन यूनियन में उस पर भी पूरी तरह बैन लगाने की मांग उठने लगी है.
यूरोपीय संसद सदस्य जॉर्डन बर्डेला ने तुर्की और पाकिस्तान के खिलाफ सख्त प्रतिबंध लगाने का आह्वान करते हुए कहा है कि ऐसे देशों के खिलाफ़ एकजुटता से ही निपटा जा सकता है. बर्देला ने अंकारा, इस्लामाबाद, कुवैत और दोहा के खिलाफ हर तरह के कारोबारी प्रतिबंध की मांग की और कहा कि ऐसे देशों को किसी तरह की वित्तीय सहायता पर भी अब पूरी तरह रोक लगनी चाहिए.
फ्रांस की पत्रिका चार्ली हेब्दो में पैगंबर मुहम्मद के विवादास्पद कैरिकेचर को लेकर पिछले महीने एक के बाद एक कई आतंकी हमले हुए और इसे लेकर यूरोप समेत दुनिया के कई देशों ने कट्टरपंथी सोच की लानत मलामत की. लेकिन दूसरी ओर पाकिस्तान समेत दूसरे कई मुस्लिम देशों में फ्रांस और अमेरिका के खिलाफ़ प्रदर्शन होने लगे. कई मुस्लिम देशों में सोशल मीडिया पर फ्रांसीसी चीज़ों के बहिष्कार की मांग उठने लगी और इसमें भी पाकिस्तान से फ्रांस के खिलाफ़ आवाज़ें उठीं. जिसके बाद अब पाकिस्तान भी यूरोपियन यूनियन के निशाने पर आ चुका है.
पिछले दिनों यूरोपीय संसद के फ्रांसीसी सदस्य जॉर्डन बर्डेला ने यूरोपीय आयोग के सामने एक सवाल उठाया. उन्होंने पूछा, “तुर्की के राष्ट्रपति ने जिस तरह की अस्वीकार्य टिप्पणियां की, उसके मद्देनज़र क्या ये आयोग तुर्की, पाकिस्तान, कुवैत और कतर जैसे देशों के खिलाफ किसी भी वास्तविक वित्तीय या व्यापार प्रतिबंधों को अपनाने की योजना बना रहा है? हमारे सामान्य मूल्यों को फिर से विकसित करने और यूरोपीय एकजुटता को मूर्त रूप देने के लिए ये ज़रूरी है. हाल ही में बढ़ी आतंकवाद की घटनाओं और उस पर तुर्की और पाकिस्तान जैसे देशों के रवैये को लेकर आतंकवाद और चरमपंथ पर चिताएं बढ़ी हैं.”
इसी के साथ यूरोपीय संसद के एक और सदस्य (एमईपी) निकोलस बे ने यूरोपीय संघ (ईयू) को पाकिस्तान और तुर्की पर सब्सिडी और दूसरी वित्तीय सुविधाओं पर रोक लगाने की मांग की. बे ने कहा कि ऐसे देशों पर सुविधाओं की बारिश करने की जगह उन पर पाबंदियों की ज़रूरत है. और इन देशों से यूरोप में आनेवाले प्रवासियों पर भी रोक लगाना ठीक है, क्योंकि आतंकवाद की ऐसी ज़्यादातर घटनाओं में ऐसे प्रवासी लोग शामिल होते हैं.
उधर, पाकिस्तान की लाख कोशिश के बावजूद फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स यानी एफएटीएफ ने उसे अपनी ग्रेट लिस्ट में बरकरार रखा है. फिलहाल आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान का जो रवैया है, वो उसे एफएटीएफ की ब्लैक लिस्ट में डलवा सकता है. पिछले महीने संगठन की बैठक में पाकिस्तान ने खुद को ग्रे लिस्ट से बाहर निकालने के लिए कई तर्क दिए, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. एफएटीएफ प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर आतंकवाद को मिलने वाली फंडिंग को रोकने के लिए बनाई गई एक संस्था है. मनी लॉन्ड्रिंग या टेरर फंडिंग जैसी अनियमितताएं रोकने के लिए एफएटीएफ के 27 नियम हैं, जिनका पालन हर सदस्य देश को करना होता है. इनमें से किसी भी नियम का उल्लंघन करने वाले देश को ग्रे लिस्ट में रखा जाता है. यह एक तरह से ये चेतावनी सूची है.
गौरतलब है कि 16 अक्टूबर को एक आतंकवादी ने फ्रांस के एक शिक्षक सैमुएल पैटी का सिर कलम कर दिया था, जिन्होंने चार्ली हेब्दो में प्रकाशित विवादास्पद कार्टून अपने क्लास में दिखाए थे. इसके बाद 30 अक्टूबर की सुबह एक और आतंकवादी हमला हुआ जब एक व्यक्ति ने नीस के एक चर्च में तीन लोगों की गला काट कर हत्या कर दी और कई दूसरे लोगों को ज़ख्मी कर दिया. फिर 2 नवंबर को आतंकवादियों ने आस्ट्रिया की राजधानी वियना में एक खतरनाक वारदात को अंजाम दिया और अंधाधुंध गोली चला कर चार लोगों की जान ले ली, जबकि 20 से अधिक अन्य लोगों को घायल कर दिया.