



जैसे-जैसे राम मंदिर निर्माण का कार्य आगे बढ़ रहा है, अयोध्या में जमीनों को हथियाने की होड़ भी शुरू हुई है. भूमि माफियाओं ने सरकारी जमीनों पर अपनी नजर गड़ा दी है.
अयोध्या में जैसे-जैसे राम मंदिर का निर्माण बढ़ रहा है उसी क्रम में यहां की जमीन भी बेशकीमती होती जा रही हैं. अयोध्या में उत्तर प्रदेश ही नहीं देश के कई प्रांतों के बड़े कारोबारी जमीन खरीदने में रुचि दिखा रहे हैं. आने वाले दिनों में अयोध्या पर्यटन के नक्शे पर एक बड़ा केंद्र बन उभरेगी. इसी को ध्यान में रखते हुए जमीनों को हथियाने की होड़ भी शुरू हुई है. भूमि माफियाओं ने सरकारी जमीनों पर अपनी नजर गड़ा दी है.
ऐसे ही एक मामले को अयोध्या नगर निगम प्रशासन ने गंभीरता से लिया है. भूमि सुरक्षित करने के लिए अपर नगर आयुक्त, सहायक अभिलेख अधिकारी और उपजिलाधिकारी सदर की तीन सदस्यीय टीम बनाई गई है. राम मंदिर निर्माण के लिए पत्थर तराशने का कार्य विश्व हिंदू परिषद की कार्यशाला में हो रहा है. कार्यशाला के पास ग्राम सभा माझा बरेहटा में नगर निगम की भूमि गाटा संख्या 7 से 17 व 22 और नगर निगम और पंचकोसी परिक्रमा मार्ग की भूमि गाटा संख्या 2, 3 व 4 पर अवैध कब्जे की शिकायत जिले के अधिकारियों से की गई थी. शिकायत में इस भूमि को गैर प्रदेश के कारोबारियों को करोड़ों में बेचने की आशंका जाहिर की गई थी. हालांकि कई साल पहले ही इस मामले में अधिकारियों ने जांच कराकर भूमि सुरक्षित करने के आदेश दिए थे, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई थी. 5 नवंबर को नगर आयुक्त विशाल सिंह ने मामले को गंभीरता से लेते हुए सहायक नगर आयुक्त को पत्र लिखा है कि तत्कालीन जिलाधिकारी के 15 फरवरी 2018 के पत्र, नगर आयुक्त के 16 फरवरी 2018 के पत्र द्वारा भूमि की पैमाइश राजस्व व चकबंदी विभाग से करने के लिए एसडीएम सदर को पत्र लिखा गया था. इसे लेकर कई बार टीम बनाई गई, परंतु प्रकरण में कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं हुई. पत्र में लिखा है कि वर्तमान मुख्य राजस्व अधिकारी ने 20 अक्तूबर 2020 को अपर नगर आयुक्त नगर निगम, सहायक अभिलेख अधिकारी व उपजिलाधिकारी सदर की तीन सदस्यीय टीम द्वारा प्रश्नगत भूमि की पैमाइश व जांच आख्या मांगी है. नगर आयुक्त ने सहायक नगर आयुक्त को आदेश दिया है कि तीन सदस्यीय समिति से समन्वय बनाकर भूमि की पैमाइश सुनिश्चित कराने व चिंहाकंन के बाद इसकी बाउंड्री कराना सुनिश्चित करें.
पिछले वर्ष नवंबर में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या में रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद का अंत होने से अयोध्या में कारोबार के लिए जमीन खरीदने की होड़ भी शुरू हुई है. कोरोना संक्रमण के चलते हुए लॉकडाउन के बाद जैसे व्यापारिक गतिविधियों ने तेजी पकड़नी शुरू की जमीनों की मांग में भी उछाल आया है. बीते माह जुलाई के दौरान जिले में जमीन की रजिस्ट्री से होने वाली आय लक्ष्य 17 करोड़ के सापेक्ष लगभग 12 करोड़ रही लेकिन अगस्त में एकदम से इसमें तेजी आ गई और जिले की आय पिछले रिकॉर्ड के सापेक्ष 104 फीसद तक पहुंच गई. इसमें भी अयोध्या के सदर और सोहावल तहसील में जमीनों की खरीद की रफ्तार अन्य तहसीलों की तुलना में काफी तेज रही. सोहावल तहसील रौनाही के गांव धन्नीपुर में प्रशासन ने मस्जिद के लिए जमीन आवंटित की है. इसके बाद से ही यहां जमीन की मांग में तेजी आई है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अगस्त में जिले में 2815 बैनामे किए गए, यह पिछले साल के इसी माह में किए गए 2405 के सापेक्ष 410 लेखपत्र ज्यादा हैं. इनमें सबसे ज्यादा बैनामा सदर तहसील में किए गए. इनकी संख्या 1156 थी जबकि पिछले साल इसी माह में लेखपत्रों की संख्या महज 865 थी. यह पिछले साल के सापेक्ष लगभग 34 फीसद ज्यादा हैं जबकि, बैनामा से होने वाली आय महज लगभग छह फीसद बढ़ी. इससे यह स्पष्ट होता है कि प्लाटों के निबंधन के रोक के चलते छोटे प्लाटों की खरीद-बिक्री तेज हुई है. कमोवेश यही स्थिति सोहवाल तहसील की भी है. यहां भी पिछले साल के 379 के सापेक्ष इस साल अकेले अगस्त में 460 रजिस्ट्री बैनामे किए गए. यह लगभग 21 फीसद ज्यादा है. अयोध्या के अतिरिक्त महानिरीक्षक स्टांप एम. के. मिश्र बताते हैं, “अयोध्या और सोहावल में पिछले साल के इस माह के सापेक्ष बैनामे ज्यादा हुए हैं. अगस्त में लक्ष्य के सापेक्ष आय ज्यादा हुई है.”