



सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हर पुलिस स्टेशन के सभी प्रवेश और निकास बिंदुओं, मुख्य गेट, लॉक-अप, गलियारों, लॉबी और रिसेप्शन पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं. साथ ही बाहर के क्षेत्र के लॉक-अप कमरों को भी कवर किया जाए जिससे कोई भी हिस्सा कैमरे की जद से बाहर न होने पाए.
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अपने एक अहम फैसले में केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह विभिन्न जांच एजेंसियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले सभी पूछताछ कक्षों और लॉक-अप में सीसीटीवी कैमरे और रिकॉर्डिंग उपकरण स्थापित करना सुनिश्चित करे.
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला पुलिस के अलावा CBI, ED और NIA जैसी जांच एजेंसियों पर भी लागू होगा.
जस्टिस आरएफ नरीमन की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हर पुलिस स्टेशन के सभी प्रवेश और निकास बिंदुओं, मुख्य गेट, लॉक-अप, गलियारों, लॉबी और रिसेप्शन पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं. साथ ही बाहर के क्षेत्र के लॉक-अप कमरों को भी कवर किया जाए जिससे कोई भी हिस्सा कैमरे की जद से बाहर न होने पाए. जस्टिस आरएफ नरीमन के अलावा बेंच में जस्टिस केएम जोसेफ और अनिरुद्ध बोस भी शामिल हैं.
हिरासत के दौरान प्रताड़ना को रोकने की कोशिश के तहत सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में पुलिस स्टेशनों में सीसीटीवी कैमरे लगाने का आदेश दिया था.
देश की सबसे बड़ी अदालत के आदेश में यह भी कहा गया कि सीसीटीवी कैमरे नाइट विजन और ऑडियो सुविधाओं से लैस होना चाहिए, साथ ही फुटेज रिकॉर्ड करने में सक्षम भी हो. केंद्र, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लिए ऐसे सिस्टम्स खरीदना अनिवार्य हो जो अधिकतम अवधि के लिए डेटा के स्टोर की अनुमति देते हैं, कम से कम एक साल तक का हो.
बेंच ने अपने फैसले में कहा, ‘जैसा कि इनमें से अधिकांश एजेंसियां अपने ऑफिस में पूछताछ का काम करती हैं तो सीसीटीवी कैमरे अनिवार्य रूप से उन सभी ऑफिसों में स्थापित किए जाएं, जहां पुलिस स्टेशन की तरह आरोपियों से पूछताछ और फिर उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है.’
जानकारी देने में नाकाम
शीर्ष अदालत ने कहा कि इस साल सितंबर में, उसने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को इस मामले में प्रत्यर्पित किया था ताकि प्रत्येक पुलिस स्टेशन में सीसीटीवी कैमरों की सही स्थिति का पता लगाया जा सके, साथ ही 3 अप्रैल, 2018 के अनुसार ओवरसाइट समितियों का गठन किया जाए.
सुप्रीम कोर्ट ने हिरासत के दौरान प्रताड़ना से संबंधित एक मामले से निपटारे के दौरान इस साल जुलाई में 2017 के एक केस पर ध्यान दिया था जिसमें उसने सभी पुलिस स्टेशनों में सीसीटीवी कैमरे लगाने का आदेश दिया था जिससे मानवाधिकारों के हनन की जांच की जा सके और घटनास्थल की वीडियोग्राफी कराई जा सके. हर राज्य और केंद्रशासित प्रदेश इसके लिए एक सेंट्रल ओवरसाइट कमिटी और इसी तरह के एक पैनल की स्थापना करें.
12 पन्ने के अपने आदेश में बेंच ने कहा कि 24 नवंबर तक, 14 राज्यों द्वारा अनुपालन हलफनामे और एक्शन रिपोर्ट दर्ज की गई थी और उनमें से अधिकांश पुलिस स्टेशन में सीसीटीवी कैमरों की सटीक स्थिति और और अन्य मामलों की जानकारी देने में नाकाम रहे थे.