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हमारी जमीन पर उनकी हिमाकत:पाकिस्तान में जूनागढ़ के पूर्व नवाब के वारिस ने अपने बेटे को नया नवाब बनाया, सेरेमनी भी की

खुद को जूनागढ़ ‘नवाब’ बताने वाला जहांगीर खान (दाए) और बेटा (बाएं)।
  • कराची में एक सेरेमनी के दौरान जूनागढ़ के पूर्व नवाब मोहब्बत खान के पड़पोते जहांगीर ने अपने बेटे सुलतान को नवाब बनाया
  • जहांगीर ने कहा- भारत ने जबरदस्ती जूनागढ़ रियासत पर कब्जा किया था, जबकि ये पाकिस्तान का हिस्सा था

पाकिस्तान के कराची में रहने वाले जूनागढ़ के पूर्व नवाब मोहब्बत खान की तीसरी पीढ़ी के जहांगीर खान ने नए नवाब का ऐलान किया है। उन्होंने अपने बेटे सुलतान अहमद को खुद ही जूनागढ़ का वजीर-ए-आजम नियुक्त कर दिया। जहांगीर ने हाल ही में कराची में ‘सेरेमनी ऑफ दीवान ऑफ जूनागढ़ स्टेट’ कार्यक्रम भी किया।

कराची में सेरेमनी के दौरान जहांगीर खान के बेटे सुलतान अहमद।
कराची में सेरेमनी के दौरान जहांगीर खान के बेटे सुलतान अहमद।

जहांगीर खान ने दावा किया कि जूनागढ़ भारत का नहीं, बल्कि पाकिस्तान का हिस्सा है। जहांगीर खान का कहना है कि भारत ने बंदूक की नोंक पर जूनागढ़ पर कब्जा किया था, जबकि यह पाकिस्तान का हिस्सा था। इससे पहले एक इंटरव्यू में जहांगीर खान ने कहा कि भारत लगातार अल्पसंख्यकों के हितों की अनदेखी कर रहा है।

जहांगीर खान(बाएं) ने कराची में एक सेरेमनी के दौरान बेटे सुलतान को नवाब नियुक्त किया।
जहांगीर खान(बाएं) ने कराची में एक सेरेमनी के दौरान बेटे सुलतान को नवाब नियुक्त किया।

जहांगीर का दावा है कि गुजरात सीमा से लगे पाकिस्तान में इस समय जो 25 लाख लोग रहे हैं, वे मूल रूप से जूनागढ़ के ही रहने वाले थे। अब तक इनका प्रतिनिधित्व वही कर रहा था। जहांगीर खुद को जूनागढ़ का नवाब बताते रहे हैं।

1947 में जूनागढ़ रियासत के पाकिस्तान में विलय का ऐलान किया था और तब सरदार वल्लभ भाई पटेल ने इस मुश्किल से निपटने का जिम्मा सेना को सौंप दिया था।
1947 में जूनागढ़ रियासत के पाकिस्तान में विलय का ऐलान किया था और तब सरदार वल्लभ भाई पटेल ने इस मुश्किल से निपटने का जिम्मा सेना को सौंप दिया था।

जूनागढ़ का इतिहास
भारत की आजादी के बाद यहां के नवाब ने इसका पाकिस्‍तान से विलय करने की घोषणा कर दी थी। आम जनता इसके पूरी तरह से खिलाफ थी। ये पूरा इलाका हिंदु बाहुल्य था और यहां के लोग पाकिस्‍तान से मिलना नहीं चाहते थे। 15 अगस्त 1947 को जब नवाब ने ये घोषणा की तो नवाब के खिलाफ लोगों का विरोध भी शुरू हो गया। इसके समर्थन में तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने सेना को मैदान में उतार दिया। इससे डरकर नवाब पाकिस्तान भाग गया। 9 नवंबर 1947 को जूनागढ़ भारत में मिल गया। इसके बाद लोगों की जनभावना को ध्‍यान में रखते हुए फरवरी 1948 में यहां जनमत संग्रह कराया गया। इसमें लोगों ने भारत का साथ दिया।

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